प्यार इतना न करो के दिल मेरा मचल जाए
रास्त में छोड़ दो शायद, हम तुम्हे भूल भी पाए
मुलाक़ात में रखो कुछ दुरिया , धड़कने ऐसे भी तेज है
दूर से ही देखो कभी शायद, दिल का दौरा भी सह पाए.
सिने में है जलन, आग भी बहोत तेज है
कदर इतनी न करो, के जलके भस्म हो जाए
प्यार है, इस निगाहबान को, तुम्हारी हर चाल पे नाज़ है
झिझक है बस इतनी, निगाह बदल आप चल ना जाए
जनक देसाइ
बहुत ही बढ़िया
सादर