Homeअटल बिहारी वाजपेयीपुनः चमकेगा दिनकर पुनः चमकेगा दिनकर शहरयार 'शहरी' अटल बिहारी वाजपेयी 14/02/2012 No Comments आज़ादी का दिन मना, नई ग़ुलामी बीच; सूखी धरती, सूना अंबर, मन-आंगन में कीच; मन-आंगम में कीच, कमल सारे मुरझाए; एक-एक कर बुझे दीप, अंधियारे छाए; कह क़ैदी कबिराय न अपना छोटा जी कर; चीर निशा का वक्ष पुनः चमकेगा दिनकर। Tweet Pin It Related Posts अंतरद्वंद्व जीवन की ढलने लगी साँझ क्षमा याचना About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.