मैं एक बेरोजगार हूँ
मैं इसी देश में बसने बाला, सच्चाई से जीने बाला
मगर अब भार हूँ ,क्योंकि मैं एक बेरोजगार हूँ,मैं एक बेरोजगार हूँ
बचपन मेरा बीत गया लोगों से सुनते सुनते
मैं देश का आधार हूँ ,मगर आज मै नाकार हूँ
क्योंकि मैं एक बेरोजगार हूँ, मैं एक बेरोजगार हूँ.
कैसी नीतियां हैं सरकारी, कि भिखारी आज भी भिखारी
अपनी जेबों को भर रहे, नेता से लेकर अधिकारी
इससे तो ज्यादा अच्छी थी, अंग्रेजों क़ी अत्याचारी
मगर किसको बताऊँ, मैं खुद एक बेकार हूँ
क्योंकि मैं एक बेरोजगार हूँ, मैं एक बेरोजगार हूँ.
कैसा दर्द होता है, कैसी होती है जलन
सियासी लोग क्या जाने, खालिपेट क़ी तपन
कुछ न करपाने का सूनापन,एक उपकार का जीवन
मैं भ्रस्टाचारी तंत्र का,अपारित अधिकार हूँ
मगर मैं मजबूर नहीं, और न गुनेहगार हूँ
क्योंकि मैं “अनुपम” हूँ ,न क़ी भारत क़ी सरकार हूँ
मैं एक बेरोजगार हूँ ,मैं एक बेरोजगार हूँ
अब भी न समझे उनके लिए, मैं कोटि कोटि आभार हूँ
क्योंकि मैं एक बेरोजगार हूँ,मैं एक बेरोज गार हूँ.
:-अनुपम चौबे