मुस्कुराना आब क़यामत की बात हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
कभी चूमा करता था जिन होठो को मै
उन्ही होठो से जहर की बरसात हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
आंसू गिर गिर के दामन को भीगा गए
बिन मौसम की कैसी ये बरसात हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
एक ख़ुशी के लिए हर सुबह का इंतजार किया
मगर खुशिया भी जलकर राख हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
जीने का जज्बा है इसी लिए तो जी रहा हूँ
जबकि कई बार मौत से मुलाकात हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
टूट कर बिखर जाऊ इतना भी कमजोर नहीं
मेरी खामोशिय भी आब तो मेरे साथ हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
ज्हनुम भरी इस जिंदगी को एक किनारे तो लगा दू
अब तो डूबती हुई कस्ती भी मेरे साथ हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
दोस्ती देखा तो दुश्मनी भी देख लेंगे
दवा की बोतल और गिलास मेरे साथ हो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
लोकेश तो उलझा रहा बोतल और गिलास में
इन उलझनों मे जिंदगी ही खो गई है
कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है
लोकेश उपाध्याय