शाम होती है एक दर्द की रात लिए
रुलाती है बहुत दिल की बात लिए
वफा करके बहुत ही दोस्तों
दिल रोता है आँखों में आंसू लिए
कभी जिनकी निगरानी हम किया करते थे
वही आज हमें ढूढ़ते है खंजर को हाथ लिए
गमो के समंदर को वो एक नाटक करार देते है
‘लोकेश’ को ढूढ़ते है दुश्मन को साथ लिए
LOKESH UPADHYAY