दिन सुहाना था, शाम हसीं है,
फिर भी कुछ कमी सी महसूस होती है,
कोई गर पास है तो फिर क्यों
नयन भरे प्यार के, आंसू बनके भिगोते है..
कभी ना कोई आये जिंदगी में,
गर चले ही जाना दूर हो,
उन यादों को भुलाना आसां नहीं,
जो आती है तो हँसती आँखें भी नम होती है….
दूर जाऊं तो जाऊं कैसे,
उसी यादों को मैं भुलाऊँ कैसे,
सताती है जो आ – आ कर रातों में,
वो यादें सपनों में भी सोने नहीं देती है..
मैं तो पहले से ही खाक था,
मुझे ये आग क्या जला पायेगी,
जिंदगी के इस अकेले सफ़र में,
वो बार – बार, हर -बार, बहुत याद आती है…
Oye kiski yaad aa rahi hai?
Aapki hi aa rahi hai Gupta jee.