Homeगुरु नानकदेवझूठी देखी प्रीत झूठी देखी प्रीत पंकज गुरु नानकदेव 17/12/2011 No Comments जगत में झूठी देखी प्रीत। अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥ मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत। अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥ मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत। नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥ Tweet Pin It Related Posts को काहू को भाई About The Author पंकज