करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयानम !
बटस्य पत्रस्य पुटे शयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि !!
मयूर पिच्छ मंडनं, गजेन्द्र दन्त खंडनं,
नृशंस कंस दंडनम, नमामि राधिकाधिपम !
प्रदत्त विप्र दारकम, सुदाम धाम कारकं,
पुरत्रमा प्रहारकम, नमामि राधिकाधिपम !
सुरेन्द्र गर्व भंजनं, विरंचि मोह भंजनं,
वृजांगनानुरंजनम, नमामि राधिकाधिपम !
चतुर्मुखादि संस्तुतं, समस्त सत्वतानुतम,
हलायुधादी संयुतं, नमामि राधिकाधिपम !