Homeशर्मनकोई ख़ुशी नहीं, कोई ग़म नहीं कोई ख़ुशी नहीं, कोई ग़म नहीं Manoj Kr. Sharma शर्मन 14/07/2012 No Comments कोई ख़ुशी नहीं, कोई ग़म नहीं मेरे मर्ज़ का कोई मरहम नहीं जी करे खुद को, मिटा दूँ मगर इतना भी मुझमें है दम नहीं क्या-क्या न किया उनकी ख़ातिर बचा इश्क़ में कोई करम नहीं कोई मेरे लिये दुआ क्यों करे दर्द किसी का, मुझसे है कम नहीं Tweet Pin It Related Posts फूलों में भौंरों का ठिकाना होता है वो आते हैं किसकी रज़ा से यहाँ नित नये रूप धर…रवीन्द्रनाथ टैगोर की “गीतांजलि” का बंगला से हिंदी में अनुवाद About The Author Manoj Kr. Sharma Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.