कभी ली थी जवानी अंगड़ाई मेरी
जानता हूँ, जानती है तनहाई मेरी
इश्क़ के सिवा और भी ग़म था मुझे
सब कहते हैं, वो थी बेवफ़ाई मेरी
गेसुओं से खेलता ये कहाँ थी किस्मत
ऐसी फ़ितरत खुदा ने बनाई मेरी
ख़ाक में मिल गयी ये जवानी मगर
काम आयी बचपन की पढ़ाई मेरी
जो नहीं हैं मेरे बिरादरी के, उन्हें
क्या मालूम, क्या है परेशानी मेरी