हाँ, उन दिनों गर्दिश में सितारा था
ज़िन्दगी को मगर क़रीब से निहारा था
कोई ले गया छलके मेरा सुकून
बड़ी मुश्किल से खुद को सँवारा था
मैं बहुत रोया हूँ ये न पूछो क्यों
क्योंकि मेरा हक़ किसी ने मारा था
कुछेक तस्वीरें शेष हैं एलबम में
जो याद है, बचपन का पहाड़ा था
धीरे-धीरे फेड होता गया सबकुछ
सिर्फ एक अक्षर नाम तुम्हारा था