सबके सामने अगर सवाल इतने होंगे
जवाब भी होंठों पे रुके-रुके होंगे
वक्त बहुत कम है, और सवालात ढेरों
ना कहूँ तो कुफ्र, कहूँ तो झमेले होंगे
सबब क्या है ये पूछेंगे वही, जिनको
मालूम नहीं, उनके सवाल पहले होंगे
जो न गुजरे होंगे इस रस्ते से कभी
उनके मन में सवालों के बुलबुले होंगे
वो भी होंगे जो मिलने से कतरायेंगे
गम जिनको हमारी तरह मिले होंगे