Homeशर्मनन अँधेरे के लिये, न उजाले के लिये न अँधेरे के लिये, न उजाले के लिये Manoj Kr. Sharma शर्मन 10/07/2012 No Comments न अँधेरे के लिये, न उजाले के लिये शम्मा जलती है, अपने परवाने के लिये इश्क़ जरिया है उसे हासिल करने का वो भी बेताब है करीब आने के लिये यहाँ जर्रे-जर्रे में वही नज़र आता है ये मुमकिन है, उसके दीवाने के लिये Tweet Pin It Related Posts कहाँ गया तू झलक दिखा के क्षणिक मिलन था मेरा-तेरा रुक जाओ तुम आज यहीं About The Author Manoj Kr. Sharma Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.