Homeअज्ञेयधड़कन धड़कन धड़कन धड़कन शहरयार 'शहरी' अज्ञेय 14/02/2012 No Comments धड़कन धड़कन धड़कन— दाईं, बाईं, कौन सी आँख की फड़कन— मीठी कड़वी तीखी सीठी कसक-किरकिरी किन यादों की रड़कन? उँह! कुछ नहीं, नशे के झोंके-से में स्मृति के शीशे की तड़कन! Tweet Pin It Related Posts देना-पाना बड़ी लम्बी राह न कुछ में से वृत्त यह निकला About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.