आदमी सोच ले जितना
जो तू चाहे वही होई
साईं, तुझसे बड़ा न कोई
देखा-देखी सब चले
तुझे देख चले न कोई
ऐंठ चले गिरे गड्ढे में
पूछे अब क्या होई
साईं, तुझसे बड़ा न कोई
बाहर-बाहर भटके लेकिन
भीतर रमे न कोई
हेरा-फेरी के चक्कर में
अदभुत पूँजी खोई
साईं, तुझसे बड़ा न कोई