Homeशर्मनहोता है जहाँ गुज़र-बसर मेरा होता है जहाँ गुज़र-बसर मेरा Manoj Kr. Sharma शर्मन 09/07/2012 No Comments होता है जहाँ गुज़र-बसर मेरा वो शहर है, जमशेद-ए-शहर मेरा मुड़के न देखा उस जगह को जिसे छोड़कर चला गया हमसफ़र मेरा महफूज़ थे शहर में रहने वाले मगर, लूटा था किसी ने घर मेरा सोचता हूँ, जब उसकी याद आती है मुफ्त ही मारा गया रहबर मेरा Tweet Pin It Related Posts हो सका जितना साथ दिया पहले ये मालूम न था विरह, मिलन का संगीत है About The Author Manoj Kr. Sharma Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.