अभी रैन बीती एक पहर है
शेष यामिनी कुछ पहर है
जीवन आती-जाती लहर है
कितनी ही नाव पार हुई है
अभी साधना शुरू हुई है
क्रम सदियों से चल रहा है
पल प्रतिपल बदल रहा है
एक युग-सूरज ढल रहा है
नवयुग की पुकार हुई है
अभी साधना शुरू हुई है
तू जब से रू-ब-रू हुआ है
हर जगह तू-ही-तू रहा है
ये मन मेरा मजनूँ हुआ है
हर सांस मेरी लैला हुई है
अभी साधना शुरू हुई है