ग़ज़ल….
साथी साथ में हो तो सफ़र सुहाना होता है
वर्ना केवल सांसों का आना-जाना होता है
साथी कैसा हो तेरा तुझ पर निर्भर करता है
समझ-बुझकर चलने का सबको दाना होता है
अपनी किस्मत को न कोसो कुछ तो सोचो यारों
क्यों दुनिया में इतना आखिर रोना-गाना होता है
साथी वो है जो हरदम साथ तुम्हारे रहता हो
क्यों न डाली दृष्टि उसपर जिसको पाना होता है
छुपकर बैठा तेरे अंदर, तुझसे सब करवाता है
उस नट्वर को पाने का मिजाज़ बनाना होता है