Homeअज्ञेयसमय क्षण-भर थमा समय क्षण-भर थमा शहरयार 'शहरी' अज्ञेय 14/02/2012 No Comments समय क्षण-भर थमा सा: फिर तोल डैने उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर: मद्धिम लालिमा ढरकी अलक्षित। तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा फूट तारे ने कहा: रे समय, तू क्या थक गया? रात का संगीत फिर तिरने लगा आकाश में। Tweet Pin It Related Posts चिड़िया की कहानी पहचान जाड़ों में About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.