Homeप्रज्ञा श्रीवास्तवमाँ माँ pragya प्रज्ञा श्रीवास्तव 23/06/2012 No Comments माँ मॆरी है सब सॆ सुंदर फूल सरीखी माँ श्रद्धा त्याग तपस्या की मूरत मॆरी माँ बाधाओं सॆ कभी ना हारॆ ऐसी मॆरी माँ चंदन और कुमकुम सी पावन लगती मेरी माँ पूजा की घंटी सी बजती हरदम मॆरी माँ गीता वॆद पुराणों में भी मिलती मेरी माँ Tweet Pin It Related Posts दिया गाँधीगिरी जीवन एक गणित है About The Author pragya Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.