१. दिल में इक आह सी है
कि यूँ ही भटकता रहता हूँ इसकी तपिश में |
जाने कब भुझेगी ये तपिश !
इक आशियाने कि तलाश है उस पार ||
२. तलाश है इक थाह कि इक पनाह कि
जहां न कोई बंधन कोई झमेला हो |
३. तलाश कि इक तल्ख सी लगी रहती है
कि तलाशता रहता हूँ उसको अपनी हर तलाश में |