एक डरे हुए संकोच के साथ शुरू होता हूँ
हाशिये पर चले जाते हैं दुःख
अक्सर रास्ते में मिला कोई परिचित चेहरा ठिठका देता है
कठिन पहाड़े याद आने लगते हैं
और कपड़े, जिन्हें इस्तरी करवाना था
एक तितली की सूरत में दिखती है तितली
और पता लगता है मरा नहीं हूँ मैं
आसपास कुछ शब्द हैं जिन्हें आप पुराने मकानों की गंध से जोड़ सकते हैं
जहाँ वक़्त पर चिट्ठियों का जवाब देना सिर्फ़ अच्छी आदत होता है
रोशनी गुल हो जाने पर मोमबत्ती जला देना ढूँढ-ढाँढ़ कर
प्लेटफाॅर्म पर गाड़ी आने तक खड़ा रहना निर्विकार
सब एक-सी क्रियाएँ हैं
बग़ीचे की झाडि़याँ काटते हुए पता लगता है
मैथुन के दौरान लिए चुम्बनों का इनसे कोई वास्ता नहीं
चल रही है जैसे-तैसे थियेटर में एक बहुत पुरानी रद्दी फि़ल्म
उसे टिकट ख़रीद कर भी न देखते हुए चाव से
मूँगफली खाने का सर्वोत्तम अवसर है यह क्षण !