हममें से शायद हर एक कुर्सी जैसी साधारण
किन्तु अत्यधिक उपयोगी चीज़ की बनावट से परिचित है
अधिकतर यह लकड़ी की बनायी जाती है
और इसी वजह से हरे-भरे वृक्ष के साथ
कुर्सी बन जाने का आसन्न ख़तरा सदैव जुड़ा होता है
पेड़ के साथ दुर्घटना यह भी है कि
उसे बढ़ई के कारख़ाने तक आने से पहले
इस बात का पूर्वाभास नहीं होता कि
उसे कुर्सी में तब्दील होना है
उधर कुर्सी की त्रासदी यह है कि
उसे इस बात की जानकारी नहीं होती कि
उसका ख़रीदार कौन होंगे ?
वे किस तरह की गुप्त चिन्ताओं
और रोगों का शिकार होंगे ?
उनके जीवन की उपलब्धियाँ क्या रही हैं ?
वे कुर्सी पर बैठ कर
क्या-क्या मंसूबे बाँधते हैं आदि-आदि
आप इस रोशनी में कुर्सी को देखें तो
बहुत से रहस्य इससे जुड़े दिखलायी देंगे
किन्तु इस बात में कोई विवाद नहीं कि
इसकी बनावट ही
इसकी विश्वव्यापी लोकप्रियता का रहस्य है
दो हत्थे, चार पाँव, पीठ टिकाने का
अवकाश और धरती पर टिक कर खड़े रहने का सामथ्र्य
और एक बड़ा गुण यह भी कि कुर्सी बैठने वाले को
ख़ुद कभी धकेलती नहीं
मैने बहुत से पहलवानों को
इस पर बेखटके बैठते देखा है
यह बेचारी कुर्सी ही है
जो उनकी गरिमा और पुरानी उपलब्धियों का
पूरा आदर करते हुए उन्हें कभी चित्त नहीं करती
उसमें एक प्रशंसनीय सहिष्णुता
कूट-कूट कर भरी है
वह नीतिशास्त्र के पंडि़तों के लिए आदर्श ‘चरित्र’ भी हो सकती है
अगर कुर्सी का सिर्फ़ काँच के शो-केस में
सजावटी चीज़ के बतौर रखा जाये तो
यह दीर्घायु हो सकती है
यों ठीक-ठाक सी रखरखाव के सहारे
इसे बहुत बरसों तक जि़न्दा रखा जा सकता है
कुर्सी ने भाषा के विकास में भी
थोड़ा-बहुत योगदान किया है
यह बात उन सारे मुहावरों से ज़ाहिर है
जो कुर्सी को ले कर गढ़े गए हैं
मुहावरे के अर्थ में कुर्सी एक प्रतीक है
वहीं इसकी बड़ी बहन
आराम-कुर्सी
निश्ंिचत प्रौढ़ावस्था की स्मृति हम में जगाती है
यदि कुर्सी में किसी भी तरह सोचने और अभिव्यक्त करने का सामथ्र्य होता
तो वह यह जान कर बहुत प्रसन्न होती कि
पृथ्वी के शायद सबसे बुद्धिमान
जीव-मनुष्य के इतिहास-निर्माण में उसका हाथ भी कम नहीं है
तब शायद कुर्सी
कवियों से भी ज़्यादा वाचाल
और राष्टाªध्यक्षों की दयनीय आत्ममुग्धता से बड़ी
कोई
बात
कह
रही
होती !