किनारे बैठ कर
मेरे लिए चिंता है
वही एक मछली
अपूर्व अद्वितीय सुनहली
जाल भी नया
खूब मजबूत है
इरादा पक्का
अलौकिक प्रकाश से
भर जाएगा मछलीघर
नहीं यह वह नहीं
थी जो चिर-अपेक्षित
डालता हँू जाल
फिर फिर फिर
नहीं पाता कभी
वह थी जो प्रतीक्षित
फिर डालता हूँ
डालता हूँ
डालता हूँ डालता हूँ
नहीं इस बार भी
यह वह नहीं
यह जान कर भी डालता हूँ
चलता रहेगा
अनंत तक
उसी एक मछली के लिए
यह अधूरा अफसल