Homeसंजीव आर्याअश्क, यादें , तन्हाइयाँ ये तो सब इनाम है अश्क, यादें , तन्हाइयाँ ये तो सब इनाम है sanjeev arya संजीव आर्या 11/06/2012 No Comments अश्क, यादें , तन्हाइयाँ ये तो सब इनाम है प्यार के बाजार में अब जिस्म का ही नाम है शहर जब दवा करे तो ज़ख्म और दुखने लगे कोई मिलने की करे दुआ तो मुझे आराम है -संजीव आर्या Tweet Pin It Related Posts अँधेरी रातों में भी उजाले थे गुज़रता रहा इस उम्र का कारवाँ जब तक कुछ अशआर About The Author sanjeevarya Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.