Homeसंजीव आर्याजिस्म सलामत लेकिन अपनी रूह को घायल कहता हूँ जिस्म सलामत लेकिन अपनी रूह को घायल कहता हूँ sanjeev arya संजीव आर्या 08/06/2012 No Comments जिस्म सलामत लेकिन अपनी रूह को घायल कहता हूँ सन्नाटो का शोर सुनूं तो खुद को पागल कहता हूँ जब हर्फ़ तुम्हारे भीगे खत में नैन को बादल कहता हूँ ओढ़ के तन पर सारा यौवन तुम को आँचल कहता हूँ – संजीव आर्या Tweet Pin It Related Posts शेर – वो खत पुराने से आज पलक का ये इशारा है इन आँखों में आब न देखूँ उतरा है इक इक करके दिल में इस तरह About The Author sanjeevarya Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.