सदियों के इंतज़ार की सज़ा क्यूँ सुनाई
तुझे क्या खबर मेरी जान पर बन आई
पायल की लडियां अब रूठने लगी है
सब्र की हदें अब टूटने लगी हैं
डसने लगी है अब खुद की तन्हाई
आजा की अब रो देगी ये खुदाई
दुशवारियाँ पलों की दे रही हैं दुहाई
अजीब कश्मकश में है मेरी परछाई
काजल ,झुमके,नथिया,अंगडाई
पड़े हैं बेसुध तेरे बिन ओ हरजाई
डसने लगी है अब खुद की तन्हाई
आजा की अब रो देगी ये खुदाई
सिलवटों की दास्तान तुझे क्या सुनाऊं
वो राग बता दे जिससे तुझे रिझाऊं
रूप या श्रृंगार प्रेम या उपहार
वो रंग दिखा दे जो तुझ पर चढाऊँ
अगर दे रही है शेहनाई कोई सुनाई तो
आजा की अब रो देगी ये खुदाई
डसने लगी है अब खुद की तन्हाई
आजा की अब रो देगी ये खुदाई