हम बच्चे प्रात:उठ जाते
ठण्डे पानी से, खूब नहाते,
नहा-धो नित ताजा हो जाते
घडियाली देख वर्दी पहनते,
स्कूल नियम-पालन से जाते
नास्ता भी झट से खाते ,
हम सबसे बोलें आते जाते
चले-चले-चले, हम चले नमस्ते,
करें नमस्ते , उठाएं बसते
हम चलते हैं स्कूल के रस्ते,
पढने से न हम घबराते
हंसी ख़ुशी पढने को जाते,
गुरु हमारे- हमें हंसते
नई-नई बातें सिखलाते,
रोज गुरु नया पाठ पढ़ते
उसी पाठ को हम दोहराते,
पढने में आनंद आ जाता
कवि सार जब गुरु समझाते,
bahut badhiya kavita hai
by
Ghar Ka Vaidya