सूर्य देव जी हँसते आते
हलके ताप से हमें जगाते,
गर्मी में गुस्सा दिखलाते
सर्दी में सब जन को सुहाते,
धरती तपती अंबर तपता
अग्नि देव का ताप न घटता,
पल-पल में दिन-रात बनाते
कर प्रकाश वो प्राण बढ़ाते,
प्रात:काल पूरब से आते
सांय काल पश्चिम को जाते,
उर्जा का वह स्रोत है भारी
सभी गृहों का पालन हारी,