Homeअज्ञात कवि (रीतिकाल)रुचि पाय झवाय दई मेँहदी तेहिको रँग होत मनौ नगु है रुचि पाय झवाय दई मेँहदी तेहिको रँग होत मनौ नगु है शहरयार 'शहरी' अज्ञात कवि (रीतिकाल) 14/02/2012 No Comments रुचि पाय झवाय दई मेँहदी तेहिको रँग होत मनौ नगु है । अब ऎसे मे स्याम बोलावैँ भटू कहु जाँउ क्योँ पँकु भयो मगु है । अधरात अँधेरी न सूझै गली भनि जोय सी दूतिन को सँगु है । अब जांउ तो जात धुयो रँगु री रँगु राखौँ तो जात सबै रँगु है । Tweet Pin It Related Posts बड़े व्यभिचारी कुलकानि तजि डारी घोँघन मे बसिके न मिलै रस जे मुकतान पे चोँच चलैया मोर को मुकुट सीस भाल खौरि केसर की About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.