Homeअज्ञात कवि (रीतिकाल)योगी वही जो रँगै मन आपनो आन सुसँग मे ध्यान लगावै योगी वही जो रँगै मन आपनो आन सुसँग मे ध्यान लगावै शहरयार 'शहरी' अज्ञात कवि (रीतिकाल) 14/02/2012 No Comments योगी वही जो रँगै मन आपनो आन सुसँग मे ध्यान लगावै । सँत वही जो तजै ममता अरु आनन्द मे हरि के गुन गावै । पुत्र वही जो पिता को नवै अरु कै पुरुषारथ को दिखलावै । द्रव्य वही जो उठै परस्वारथ मित्र वही जो विपत्ति बटावै । Tweet Pin It Related Posts ननँद निनारी सासु माइके सिधारी जाके लगे गृहकाज तजे अरु मातु पिता हित नात न राखै कज्जल के कूट पर दीप शिखा सोती है कि About The Author शहरयार 'शहरी' Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.