माँ तेरी कोख से जनम लिया
इससे बड़ा कोई वरदान नहीं
तेरे दिल से निकले आशीर्वचन
मुझसे बड़ा धनवान नही
तूने जो सन्स्कार दिये मुझको
उससे बड़ा कोई रत्न नही
हर पग-पग पर जो सीख मिली तुझसे
उससे बड़ा कोई ग्यान नही
मुश्किलों में भी चट्टानो से टकराकर
मेरे लिये हरदम मुस्कान बनी
स्नेह,त्याग,ममता की जननी
तुझसे बड़ा कोई मान नही
माँ-मा तू केवल माँ है मेरी
मेरे लिये तुझसे बड़ा भगवान नही
तुझसे ही तो जाना हमने होते हैं भगवान भी
तुझमे पाते सारे वो रूप,तुझ सम कोई और नही
माँ मेरा हर जीवन
हर पल है तुझपे क़ुर्बान
ॠण तेरा कभी ना चुक सकता माँ
पर ये मेरा तुझपर उपकार नही
शत-शत नमन तुझे ओ मेरी माँ
तू मिले मुझे हर जनम-जनम
यादों मे बसी,सासो मे समाई
ओ माँ,कैसे कहूँ कि तू अब मेरे पास नहीं…॥
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पूनम श्रीवास्तव
Very Nice poem Poonam Ji
आप की कबिता बहुत नीक हॅ।
बहुत सुन्दर माँ पर कुछ भी लिखो अवर्णनीय हो जाता है।