महकेगा वही फूल,
जो खिला हुआ है,
बिना खिला फूल,
एक सपना अधूरा है
बुझेगा वही दिया,
जो जला हुआ है,
बिना जला दिया,
एक मकसद अधूरा है
जीवन लिया है,
खिल जाओ,
कर्म में लग जाओ
फूल की तरह
महक जाओ,
दीये की तरह रोशनी
फैलाओ
लम्हे आयेंगे
तुम्हें डगमगायेंगे,
कदम तुम्हारे भी
लड़खडायेंगे
लौ दीये की कम
होने लगेगी,
हिम्मत भी जवाब देने
लगेगी
दिए में घी डालना है,
हिम्मत न हारना है
नए जज्बे से,
फ़र्ज़ निभाना है,
निरंतर महके हो ,
अब भी महकना है
जो कदम आगे बढाया,
पीछे नहीं हटाना है
डा.राजेंद्र तेला”निरंतर”