Homeनोमान शौक़हमेशा के लिए हमेशा के लिए विनय कुमार नोमान शौक़ 20/04/2012 No Comments निकल जाते हैं सपने किसी अनन्त यात्रा पर बार-बार की यातना से तंग आकर गीली आँखें बार-बार पोंछी जाएँ सख्त हथेलियों से तो चेहरे पर ख़राशें पड़ जाती हैं हमेशा के लिए ! Tweet Pin It Related Posts आई.सी.यू. यहाँ अब शोर ही कोई न सरगोशी किसी की उपलब्धि About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.