Homeनीरज दइयाराजकुमारी-2 राजकुमारी-2 विनय कुमार नीरज दइया 19/04/2012 No Comments दोहरी जिंदगी जीने को श्रापित है राजकुमारी चलता है निरंतर उस के भीतर युद्ध युद्ध-विराम के समय वह सोचती है- हाँ यह ठीक है और जैसे ही आगे बढ़ाती है दो-चार कदम रूक जाती है वहीं सोचते हुए- नहीं, यह गलत है । Tweet Pin It Related Posts राजकुमारी-6 इंतज़ार-1 राजकुमारी-3 About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.