Homeनीरज दइयागुड़िया-4 गुड़िया-4 विनय कुमार नीरज दइया 19/04/2012 No Comments मेरा चूमना और तुम्हारा खुद को यूँ हवाले कर देना । मेरा गले लगाना और तुम्हारा खुद को बेसहारा छोड़ देना । प्यारा में तुम क्यों बन जाती हो मेरी गुड़िया ! Tweet Pin It Related Posts गुड़िया-11 अरदास धीरज About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.