Homeदुष्यंत कुमारएक आशीर्वाद एक आशीर्वाद राजेन्द्र यादव दुष्यंत कुमार 16/12/2011 No Comments जा तेरे स्वप्न बड़े हों। भावना की गोद से उतर कर जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें। चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये रूठना मचलना सीखें। हँसें मुस्कुराऐं गाऐं। हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें उँगली जलायें। अपने पाँव पर खड़े हों। जा तेरे स्वप्न बड़े हों। Tweet Pin It Related Posts कौन यहाँ आया था इनसे मिलिए इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है About The Author राजेन्द्र यादव