Homeनित्यानन्द तुषारये माना अजनबी हो तुम , मगर अच्छी लगी हो तुम ये माना अजनबी हो तुम , मगर अच्छी लगी हो तुम विनय कुमार नित्यानन्द तुषार 12/04/2012 No Comments ये माना अजनबी हो तुम, मगर अच्छी लगी हो तुम तुम्हीं को सोचता हूँ मैं, मेरी अब जिंदगी हो तुम ख़ुदा ने सिर्फ़ मेरे वास्ते तुमको बनाया है मैं इक प्यासा समंदर हूँ और इक मीठी नदी हो तुम Tweet Pin It Related Posts माना काफ़ी सुन्दर हो ,तुममें अदभुत आकर्षण है ज़िन्दगी की इक हक़ीकत आपसे कहता हूँ मैं ख़ुद से बाहर अब निकलकर देखें About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.