Homeअज़ीज़ लखनवीआकाश स्थिर आकाश स्थिर शुभाष अज़ीज़ लखनवी 13/02/2012 No Comments और सब अस्थिर मगर आकाश सुस्थिर है । अचिर सब है, शून्य का, पर, भाव यह चिर है । नभ असीम, अपार का वैभव अदृष्ट, अमाप; मनुज है ऊँचा बहुत, पर यहाँ नतशिर है । Tweet Pin It Related Posts उनकी दास्तान कलाकृति,आत्मविस्मृति और प्रकृति-3 एक विज्ञापन About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.