Homeअज़ीज़ लखनवीकिन्तु वह सितारा किन्तु वह सितारा शुभाष अज़ीज़ लखनवी 13/02/2012 No Comments भीगा आकाश, बूँदें, पेड़ नम, रात के अँधेरे में नभ अदृष्ट । गीली धरती भी चुप, मौन दिशा । दीवारें तम की सब ओर घिरीं । किन्तु वह सितारा : वह नन्ही-सी ज्योतिमान धारा: वह तारा… वह चमके ही जाता है, बूँदों, अँधियारों के, मौन के प्रहारों के विरुद्ध । Tweet Pin It Related Posts शहर के बीच उनकी दास्तान कभी पहले भी About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.