नहीं कायर निर्भीक बनो
सहन शीलता इंक वरदान सही
पर हम इतने भी नादान नहीं
दया धर्म सब ठीक है
पाठ सहिष्णुता का भी ठीक है
पर होता है सम्मान उसी का
होता जो निर्भीक है
जो बोए नफ़रत खून से खेले
हो दुश्मन इनसानियत का
उसे सबक़ सिखाना ठीक है
अति कोई भी ठीक नहीं
रखना सन्तुलन ठीक है
अगर झूठा ख़ौफ़ दिखाए कोई
बन अर्जुन तीर चलाना ठीक है
जब कर्म भूमि में डट जाओ
आन बचाना ठीक है
अति जब कोई होती है
मर्यादाएँ ही तो खोती हैं
इनसानियत शर्मिन्दा होती है
चहूँ ओर बर्बादी रोती है
सदियोँ पुराना खेल है यह
ताकतवर कहलाने को
इनसानियत ही तो खोती है
हो लालच धन सम्पदा का
यहाँ अभिमान बाजूबल का
नियति खेल रचाती है
रावण भी मार गिराती है
होना बलवान ज़रूरी है
अपनी रक्षा की ख़ातिर
तरकश में बाण ज़रूरी है
जब दुश्मन सामने आ जाए
चलाना उसे ज़रूरी है
रणभूमि में जब डट जाओ
दुशमन को धूल चटाना ज़रूरी है
सम्मान कायरता का होता नहीं
होना निर्भीक ज़रूरी है
बहुत खूबसूरत किरण जी !!