प्यार एक रंग अनेक किरण कपूर गुलाटी
तेरा नाता घनेरा ममता से
तू करे बसेरा रंग रूप में
समाया है कण कण में तू
जिधर देखूँ तूँ ही तूँ
जगे अहसास जब इसका मन में
उड़ान कल्पनाओं की भरे पल में
परिभाषा इसकी बड़ी निराली
झलक इसकी बड़ी मतवाली
रहे मात पिता जब आस पास
लगे सारी दुनिया हर दम साथ
बच्चों की किलकारीयों में झलके
देख देख माँ के आँसू छलकें
आनन्द बहुत मित्रों संग पाए
उनमें भी नज़र यह आए
जहाँ भी यह हो जाए उजागर
भर जाए वहाँ ख़ाली गागर
किसी ने इसकी थाह ना पाई
कान्हाँ प्रेम से कहाँ राधा बच पाई
यौवन ऋतु जब आती है
इक इन्द्रधनुष बना जाती है
हम जाते हैं रंगों में उलझ
निकलना उनसे नहीं होता सुलभ s
लगता सुहाना जीवन जब तक
शामिल रहता रंगों का मेल
प्यार का रंग बड़ा निराला
कभी जाए बिखर तो बिगड़ें खेल
सार्थक जीवन होने के लिए
रंग प्यार का बड़ा ज़रूरी
तोहफ़ा हसीन नियति का यह
है एक पर रंग अनेक
इंसानियत बिन इसके अधूरी
कहाँ मानवता भी होती है पूरी
इसमें कैसे कविता पोस्ट होती है प्लीज बता दीजिए🙏🙏
बहुत खूबसूरत किरण जी !!