Homeअज्ञात कविक्षणिका क्षणिका T. Shrinivas Rao अज्ञात कवि 09/01/2021 No Comments अस्मत लूटी, मर्दानगी दिखाई, मज़ा न आया . सरेराह क़त्ल कर दीये,सारे शहर के सामने . सहम गये सब के सब,हर कोई डर गया . दूसरे दिन अख़बार में कुछ और ही छपा था. की वो लड़की जिंदा है और सारा शहर मर गया .. 1 2Next Tweet Pin It Related Posts “नारी का सम्मान”….. काजल सोनी मुक्तक – बिन्देश्वर प्रसाद शर्मा – बिन्दु तपती दुपहरी तन्हा पेड़ -Bhawana Kumari About The Author T. Shrinivas Rao दो कहानी संग्रह क्रमशः "सूरजमुखी " और "kanyabhoj" वर्ष 2013 एवं 2019 में प्रकाशित हो चुकी है. दोनों ही पुस्तकों को भारत सरकार रेल मंत्रालय द्वारा प्रेमचंद पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है . विभिन्न मंचो पर अपनी उपस्थित देते रहते है.