नूतन पल, बेला नई, नवल किरण की भोर !
आशा दीपक जल उठे, तन मन हुआ विभोर !!
तन मन हुआ विभोर, नयन कँवल विहग जागे !
सुन भ्रमर का गान, कलियों की नींद भागे !!
कहत धरम कविराय, अनमोल है जीवन फल!
लीजिये पग पसार, कठिन मिलते नूतन पल !!
नाम: डी. के. निवातिया
जन्म स्थान : मेरठ , उत्तर प्रदेश (भारत)
शिक्षा: परास्नातक, शिक्षा में स्नातक सहित
विशेष रूचि :- लेखन एव पाठन कार्य में खुद के लिए कुछ समय व्यतीत करना
समस्त कवियों, लेखको एवं पाठको के द्वारा प्राप्त टिप्पणी एव सुझावों का ह्रदय से आभारी तथा सुझाव एवं प्रतिक्रियाओ का आकांक्षी !!
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