बेटियाँ सुरक्षित कैसे हों?
विधा: परिचर्चा
ये बात बहुत खेद की है भारत जैसे महान देश में जिसने पूरे विश्व को चरित्र का पाठ पढाया,बलात्कार जैसे पाप कृत्य होते हैं। जहाँ बच्चियों की लाशें कूड़ेदानी में मिलती हैं ।जहाँ बच्ची शिक्षित होकर भी सुरक्षित महसूस नहीं करती।हमें इसकी गहराई में जाना होगा। बात ये है कि ये सामाजिक विसंगति दूर कैसे होगी। बात यह है कि क्या हम अपनी नस्लों में ये भाव पैदा कर पा रहे हैं की पूरा विश्व एक परिवार है और हम सब एक समाज का हिस्सा हैं। एक ऐसा समाज जिसमें काले अक्षरों में नहीं बल्कि चरित्र में उत्कृष्ट होना ही सर्वोपरि है। क्या हम समाज फैल रही फूहड़ता और भौतिकता के पीछे खड़ी मृगतृष्णा की बात कभी नहीं करेंगे। क्या समाज की महत्वकाक्षा उसे गहरे अन्धेरे कूऐ में नहीं धकेल रही है। क्या हम अपने बच्चों को कभी ये समझा पाने में सक्षम होंगे कि स्त्री का हर रूप त्याग, प्यार और वात्सल्य से एक आदर्श समाज निर्माण करता है। एक बच्ची जो शिक्षा हेतु जा रही है वो कोई भोग की वस्तु नहीं है बल्कि दो परिवारों की उर्जापुंज है ।जब तक नारी को एक भोग की वस्तु दिखाया जाऐगा, यह उम्मीद छोड़ दीजिए की बच्चियों पर अत्याचार रूकेंगे।
सत्य कथन आपका ………………… प्रारम्भ स्वयं से ही करना होगा, अपने अपने घर परिवार को उचित आचार विचार से परिपूर्ण कर सके तो पूर्ण राष्ट्र का उत्थान संभव है !!
जी सत्य कहा आपने सहृदय धन्यवाद आपका मान्यवर