शिक्षक जो अपने जीवन के कर्णधार हैं
उनको हमारा प्रणाम बारम्बार है
अंदर दे सहारा हैं बाहर करें चोट जो
एक-एक कर सब दूर करें खोट वो
शिक्षार्थी ज्यों कुम्भ है,शिक्षक कुम्भकार है
उनको हमारा प्रणाम बारम्बार है
राष्ट्र का उत्थान-पतन जिनके हाथ है
भावी-कर्णधारों के भविष्य के जो नाथ हैं
जिनके हाथ अपनी नैया की पतवार है
उनको हमारा प्रणाम बारम्बार है
सदियों से सुदृढ़ खड़ा स्व-देश का महल
हर गति-विधि में है, होती इनकी पहल
जो संस्कृति-शिक्षा के प्रासाद के आधार हैं
उनको हमारा प्रणाम बारम्बार है
कोमल-मति बालक इन्हीं से पाते ज्ञान हैं
संस्कृति का होता इन्हीं से कल्याण है
ज्ञान के आगार,जो शिक्षा के श्रृंगार हैं
उनको हमारा प्रणाम बारम्बार है