ग़ज़ल (कोरोना का क्यों रोना है)
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कोरोना का क्यों रोना है,
हाथों को रहते धोना है।
दो गज की दूरी रख कर के,
सुख की नींद हमें सोना है।
बीमारी है या फिर कोई,
दुनिया पर चीनी टोना है।
तन मन का संयम बस रखना,
चाहे फिर हो जो होना है।
मानव की हिम्मत के आगे,
हर इक रोग सदा बोना है।
यह संकट भी टल जायेगा,
धैर्य हमें न जरा खोना है।
चाल नमन गहरी ये जिससे,
पीड़ित जग का हर कोना है।
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया
22-07-20
कोरोना के प्रति सचेतन भाव प्रकट करती सुंदर ग़ज़ल………… बहुत खूबसूरत वासुदेव जी ………..आपके शब्दों में ‘वासुदेव’ जी का वास है !!
आ0 निवातिया जी आपका अतीव आभार।