Homeअकबर इलाहाबादीहो न रंगीन तबीयत हो न रंगीन तबीयत शुभाष अकबर इलाहाबादी 13/02/2012 No Comments हो न रंगीन तबीयत भी किसी की या रब आदमी को यह मुसीबत में फँसा देती है निगहे-लुत्फ़ तेरी बादे-बहारी है मगर गुंचए-ख़ातिरे-आशिक़ को खिला देती है Tweet Pin It Related Posts कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है ख़ैर उनको कुछ न आए ग़म क्या About The Author शुभाष Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.