Homeधनंजय सिंहबेच दिए हैं मीठे सपने बेच दिए हैं मीठे सपने विनय कुमार धनंजय सिंह 04/04/2012 No Comments हमने तो अनुभव के हाथ बेच दिए हैं मीठे सपने सूरज के छिपने के बाद हुए बहुत मौलिक अनुवाद सुबह लिखे पृष्ठ लगे छपने स्वर्ण कलश हाथ से छुटे रोटी के दाम हम लुटे ऊँचे-ऊँचे सार्थक मनोबल बैठ गए हैं माल जपने Tweet Pin It Related Posts आ न सकूँगा लौटना पड़ेगा फिर-फिर घर बहुत दूर डूबी पदचाप About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.