मंच को सादर नमन विषय -पैमाना मानता हूंँ तुझे बहुत सताता हूँ मैं लेकिन तुझे ही तो अपना बताता हूँ मैं अच्छी लगती है तेरे चेहरे की लाली वरना कहाँ चाहत इतनी जताता हूँ मैं रूठने से तेरे रूठ जाती है ज़िन्दगीइसलिए हर नज्म तुझ पर बनाता हूँ मैं जैसे लौट आई हो फिर सदा बहार की बन मयूर तेरी यादों में नाचता गाता हूँ मैं पैमाने से नहीं तेरी आँखों से पीता हूँ हर घूंट में तेरा असर पाता हूँ मैं जो भी हो दिल में बोल दिया करो मुझेरोज रोज कहाँ लबों पर आता हूँ मैंराकेश कुमार महेन्द्रगढ,हरियाणा
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Bahut badhiya
जी धन्यवाद आदरणीय
अतिउत्तम👌
जी धन्यवाद आपका मान्यवर
अति सुंदर !!
सादर धन्यवाद आपका आदरणीय